ताजमहल उर्फ़ तेजो महल से जुड़े कुछ और रहस्यमय बातें :-
ताजमहल उर्फ़ तेजो महल से जुड़े कुछ और रहस्यमय बातें :-
1) क्या आप जानते हैं? ताजमहल के अंदर आज भी अनेक रहस्य कक्षों में दबाये बंद पड़े हैं, जिन्हें सरकार ने खुलवाने की जगह उनके दरवाजे हटा के पत्थरों से सील कर दिया...
2) इन कमरों के अंदर क्या हैं ये आप निम्नलिखित शोधो से समझ जायेंगे| सरकार ने किस कदर इस सारे भेद से जनता को गुमराह किया हुआ हैं खुद देख लीजिये...
(क) 1952 में जब एस.आर .राव पुरात्व अधिकारी थे तब उन्हें ताजमहल की एक दीवार में लम्बी चौड़ी दरार दिखाई दी। मरम्मत के दौरान आसपस की और ईंटे निकलवाने की जरुरत पड़ी, जब ईंटे निकाली गयी तो कक्ष में से अष्ट धातु की मूर्तियाँ दिखाई देने लगी... तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु को ज्ञात करवाने पर निर्णय लिया गया की मूर्तियाँ जहाँ से निकली हैं वो जगह ही बंद करवा दी जाए ||
आपने "पी.एन.ओक" के द्वारा दिए गए 108 सबुतो में भी पढा होगा की :-
"68. स्पष्टतः मूल रूप से शाहज़हां के द्वारा चुनवाये गये इन दरवाजों को कई बार खुलवाया और फिर से चुनवाया गया है। सन् 1934 में दिल्ली के एक निवासी ने चुनवाये हुये दरवाजे के ऊपर पड़ी एक दरार से झाँक कर देखा था। उसके भीतर एक बृहद कक्ष (huge hall) और वहाँ के दृश्य को देख कर वह हक्का-बक्का रह गया तथा भयभीत सा हो गया। वहाँ बीचोबीच भगवान शिव का चित्र था जिसका सिर कटा हुआ था और उसके चारों ओर बहुत सारे मूर्तियों का जमावड़ा था। ऐसा भी हो सकता है कि वहाँ पर संस्कृत के शिलालेख भी हों। यह सुनिश्चित करने के लिये कि ताजमहल हिंदू चित्र, संस्कृत शिलालेख, धार्मिक लेख, सिक्के तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं जैसे कौन कौन से साक्ष्य छुपे हुये हैं उसके सातों मंजिलों को खोल कर उसकी साफ सफाई करने की नितांत आवश्यकता है।"
"69. अध्ययन से पता चलता है कि इन बंद कमरों के साथ ही साथ ताज के चौड़ी दीवारों के बीच में भी हिंदू चित्रों, मूर्तियों आदि छिपे हुये हैं। सन् 1959 से 1962 के अंतराल में श्री एस.आर. राव, जब वे आगरा पुरातत्व विभाग के सुपरिन्टेन्डेंट हुआ करते थे, का ध्यान ताजमहल के मध्यवर्तीय अष्टकोणीय कक्ष के दीवार में एक चौड़ी दरार पर गया। उस दरार का पूरी तरह से अध्ययन करने के लिये जब दीवार की एक परत उखाड़ी गई तो संगमरमर की दो या तीन प्रतिमाएँ वहाँ से निकल कर गिर पड़ीं। इस बात को खामोशी के साथ छुपा दिया गया और प्रतिमाओं को फिर से वहीं दफ़न कर दिया गया जहाँ शाहज़हां के आदेश से पहले दफ़न की गई थीं। इस बात की पुष्टि अनेक अन्य स्रोतों से हो चुकी है। जिन दिनों मैंने ताज के पूर्ववर्ती काल के विषय में खोजकार्य आरंभ किया उन्हीं दिनों मुझे इस बात की जानकारी मिली थी जो कि अब तक एक भूला बिसरा रहस्य बन कर रह गया है। ताज के मंदिर होने के प्रमाण में इससे अच्छा साक्ष्य और क्या हो सकता है? उन देव प्रतिमाओं को जो शाहज़हां के द्वारा ताज को हथियाये जाने से पहले उसमें प्रतिष्ठित थे ताज की दीवारें और चुनवाये हुये कमरे आज भी छुपाये हुये हैं। " और हमारे देश का दुर्भाग्य ये की सरकार ने इस सारे रहस्यों की छानबीन करने की जगह सभी भेदों को दबाने का ही प्रयास किया....
ऐसा क्यों किया होगा ?? इसका कारण तो आप भी जानते हैं....
निष्कर्ष :- तो यही निकलता हैं की ताजमहल के अंदर बहुत रहस्य दबे पड़े हैं, जिससे हिन्दूओं को परिचित होना आवश्यक हैं...
अंत में :- सिर्फ ताज ही नहीं अपितु क़ुतुब मीनार ,जामा मस्जिद, लाल किला जैसे कई स्थापित्य धरोहर हिन्दू राजाओ द्वारा इस भव्य भारत को दिया हुआ हैं | इतिहास को तोड़ मरोड़ के पेश किया गया हैं, पर हमारा फर्ज हैं की जो भी सच जानने पढने को हमे मिलता हैं उसे हम ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये और अपनी अगली पीढ़ी को हिन्दू होने का गर्व दिलाये |
सौजन्य : पाठक
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