घरवालों ने बात करना छोड़ दिया था आज करोड़ों में सालाना कमाई

घरवालों ने बात करना छोड़ दिया था, आज करोड़ों में सालाना कमाई 


फेसबुक पेज पर उन्होंने देखा की छात्र रहने की जगह के बारे में सवाल-जवाब कर रहे थे। कॉलेज में रहने की जगह की किल्लत थी। अनुराग ने उनके लिए प्राइवेट हॉस्टल उपलब्ध कराने का काम शुरू किया।


कंपनी : गणपती फैसिलिटीज
संस्थापक : अनुराग अरोड़ा
औचित्य :
कॉलेज के लड़को के लिए फ्लैट उपलब्ध करना।

बचपन से आईआईटी या आईआईएम में पढ़ाई का सपना देखने वाले अनुराग, पहली बार में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा क्लियर नहीं कर पाए। उन्होंने ड्रॉप लेकर दोबारा तैयारी शुरू की और पॉकेट मनी के लिए बीपीओ में काम करने लगे। लेकिन कमाई का लोभ उनको आईआईटी से दूर ले कर चला गया। हर महीने 70 हजार से ज्यादा कमाने लगे थे। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीए कॉरेस्पोंडेंस कोर्स में दाखिला ले लिया और मजे की जिंदगी जीने लगे। उनके इस फैसले से घर के लोग खुश नहीं थे और पिता तो उनसे बात भी नहीं करते थे। 2 साल बीतने के बाद अनुराग को लगा कि इस नौकरी में भविष्य नहीं है तो वह एमबीए की तैयारी करने लगे। पुणे के एक बी-स्कूल में एडमिशन मिला और पहले सेमेस्टर में वह फर्स्ट आए। इसी बीच अपने संस्थान के फेसबुक पेज पर उन्होंने देखा की छात्र रहने की जगह के बारे में सवाल-जवाब कर रहे थे। कॉलेज नई जगह पर शिफ्ट हो गया था। जहां रहने की जगह की किल्लत थी। अनुराग ने उनके लिए प्राइवेट हॉस्टल उपलब्ध कराने का काम शुरू किया। नया बैच शुरू होने में अभी 15 दिन बाकी थे। अब कॉलेज प्रशासन ने उन्हें इसकी अनुमति दे दी। उन्होंने गणपति फैसिलिटीज नाम का बैंक अकाउंट खोला और आसपास के इलाकों में खाली पड़े फ्लैट किराए पर ले लिए। समस्या यह थी कि अनुराग के पास टोकन मनी तक के पैसे नहीं थे और दूसरी तरफ कॉलेज के नए छात्र उन्हें फोन करने लगे थे। अनुराग ने एक छात्र को अपना फ्लैट दिखाकर सालाना फीस के 54 हजार रुपए लिए और दूसरे मकान मालिकों को टोकन मनी दी। उन्होंने क्वालिटी सर्विस का खास ध्यान रखा। वह हर उस बात का ध्यान रखते, जिसे वो खुद अनुभव कर चुके थे। 150 छात्रों के बीच में से 75 ने उनके हॉस्टल चुने। थर्ड सेमेस्टर के बाद प्लेसमेंट की प्रक्रिया शुरु होनी थी। इससे पहले ही अनुराग इसमें नहीं शामिल होने का फैसला कर चुके थे। उनके वेंचर को पहले साल में ही 10 लाख रुपए से ज्यादा मुनाफा हुआ था। तीसरा वर्ष खत्म होते-होते उनकी कमाई 75,00,000 रुपए सालाना से ज्यादा हो चुकी थी। अब वह दूसरे कॉलेजों में भी इसका विस्तार कर रहे हैं।

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