मां से मिले 10,000 से शुरू किया वेंचर

मां से मिले 10,000 से शुरू किया वेंच


वो डॉक्टरों से मिलते और अपने सॉफ्टवेयर के बारे में बताते, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद खरीदार नहीं मिलते। यह उम्मीद छोड़ने लगे थे कि तभी एक डॉक्टर ने उन्हें बुलाया और सॉफ्टवेयर के बदले ₹5,000 एडवांस पेमेंट दे दिए।


कंपनी : प्रैक्टो टेक्नोलॉजीज
संस्थापक : शशांक एनडी और अभिनव लाल
औचित्य : डॉक्टरों के लिए सॉफ्टवेयर बनाना और उनको प्रैक्टो टेक्नोलॉजीज से जोड़ना।

बेंगलुरु के मिडिल क्लास फैमिली में जन्मे शशांक एनडी 12वीं की परीक्षा पास करने तक, नहीं जानते थे कि उन्हें आगे क्या करना है। दोस्तों को देख कर उन्होंने मैथ्स ओलंपियाड की तैयारी की और चुन लिए गए। फिर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा दी और एनआईटी सूरतकल में एडमिशन मिल गया। कॉलेज के आंत्रप्रेन्योरशिप सेल में उनकी मुलाकात अभिनव से हुई, जो उन्हीं की बैच में थे। इन दोनों को आंत्रप्रेन्योरशिप के बारे में जागरुकता फैलाने का काम दिया गया था। इस सिलसिले में देशभर के संस्थानों में आयोजित कॉन्फ्रेंस और सेमिनारों में शामिल होने का मौका मिला और दोनों ने इस क्षेत्र में कुछ नया करने का फैसला कर लिया। थर्ड ईयर में आते-आते वे कई आइडियाज पर काम करने लगे थे। अंततः उन्होंने डॉक्टरों के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का फैसला किया। वर्ष 2008 में दोनों ने मिलकर प्रैक्टो टेक्नोलॉजीज की शुरुआत की। इस के लिए ₹10,000 शशांक की मां ने दिए। वह डॉक्टरों से मिलते और अपने सॉफ्टवेयर के बारे में बताते, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें खरीदार नहीं मिलते। वह अब उम्मीद छोड़ने लगे थे कि तभी एक डॉक्टर ने उन्हें बुलाया और सॉफ्टवेयर के बदले ₹5,000 एडवांस पेमेंट दे दी। उन्होंने शशांक के एक खाली पड़े घर को वर्कप्लेस बनाया और काम करने लगे। छुट्टियों में घर जाने की बजाय दोनों इसी में लगे रहे और प्रोटोटाइप तैयार कर लिया। उनका बिजनेस अब रफ्तार पकड़ने लग गया था, लेकिन इसी बीच प्लेसमेंट शुरू हो गया दोनों ना चाहते हुए भी इसमें शामिल हुए और जॉब भी मिल गया, लेकिन दोनों ने ज्वाइन नहीं करने का निर्णय लिया और पूरी तरह अपने वेंचर को आगे बढ़ाने में लग गए। पहले 6 महीने में ही उन्हें एक से दो लाख की कमाई होने लगी, लेकिन वह गुजारे लायक रकम ही थी। मार्च, 2010 तक प्रैक्टो का सालाना टर्नओवर 20 लाख से ज्यादा हो गया और अब निवेश की जरूरत थी। बड़ी मशक्कत के बाद उन्हें एक निवेशक मिला जो पैसा लगाने को तैयार हो गया। अलग-अलग शहरों में कंपनी के दफ्तर खोले गए और 2012 आते-आते कारोबार 2  करोड़ के आंकड़े को पार कर गया। पिछले 4 वर्षों में यह और तेजी से बढ़ी है और फिलहाल कंपनी में 300 से ज्यादा कर्मचारी हैं। विदेशों में भी इनका कामकाज फैल चुका है और एक लाख से ज्यादा मेडिकल प्रेक्टिशनर इससे जुड़े हुए हैं। उनका अगला लक्ष्य अगले 2 -3  वर्षों में देश के साथ 70 फ़ीसदी डॉक्टरों को जोड़ना और 5 से ज्यादा देशों में अपना विस्तार करना है।

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