गाड़ियों पर विज्ञापन के आईडिया को लोगों ने कहा था फ्लॉप

गाड़ियों पर विज्ञापन के आईडिया को लोगों ने कहा था फ्लॉप

रघु खन्ना को हमेशा ड्राइविंग में दिलचस्पी थी। जब वो आईआईटी गुवाहाटी से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री ले रहे थे तो उसी दरमियान उन्होंने एक मॉडल विकसित किया - Drowsy Driver Detecting जिससे ड्राइवर के नींद में होने का पता लगता और चेतावनी देता। इस विशिष्ट आईडिया को देखते हुए उन्हें Philips Simplicity challenge साल के शुरुआत में 20 फाइनलिस्ट में से एक चुना गया।

कंपनी : कैश्योरड्राइव 
संस्थापक : रघु खन्ना
औचित्य : देश भर में गाड़ियों पर विज्ञापन  लगाने का ऑनलाइन पोर्टल।

चंडीगढ़ में रहने वाले लोगो को अक्सर ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता था। समय ज्यादा लगता तो आस पास खड़ी गाड़ियों के पीछे लगी स्लोगन और स्टीकर्स पढ़ने लगते। किसी से उन्हें idea मिला की गाड़ियों पर विज्ञापन भी कमाई का जरिया हो सकते हैं। 2008 में जब रघु ने कैश्योरड्राइव की शुरुआत की थी तो अधिकतर लोगों ने उन्हें मना किया था। 8 साल पहले तक देश में ऐसे विज्ञापनों के लिए कोई बिजनेस मॉडल ही नहीं था। गाड़ी पर विज्ञापन होते भी थे तो मालीक को इसके बदले कोई पैसा नहीं मिलते थे। शुरुआत में टैक्सी मालिक उन्हें शंका की नज़रों से देखते थे। विज्ञापन कंपनियां अपने नए खर्च से बचना चाहती थी। लेकिन रघु अपने आईडिया पर डटे रहें और आज उनका वेंचर ट्रांजिट एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में देश की शीर्ष कंपनियों में शामिल है । 7,000 से ज्यादा एयरपोर्ट कैब और 5000 प्राइवेट गाड़ियां उनके नेटवर्क में शामिल है और सालाना कमाई 50 लाख रुपए से ज्यादा है। दो लोगों के साथ शुरू हुए वेंचर में 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। 6 महानगरों के साथ देश के 23 शहरों में उनका काम फैला है। कैश्योरड्राइव पिछले 3 सीजन में दो ipl टीमों के साथ आउटडोर पाटनर के रूप में जुड़ा रहा है। विज्ञापन में टैबलेट इस्तेमाल जैसी नई तकनीकों के अलावा रघु ने होटल बुकिंग व्यवसाय में भी कदम रखा है। वह अब विदेशों में विस्तार की योजना अभी बना रहे हैं।

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