3 इंजीनियरों का सेल्फ पब्लिशिंग प्लेटफार्म

3 इंजीनियरों का सेल्फ पब्लिशिंग प्लेटफार्म


नौकरी से उब चुके इंजीनियर दोस्तों ने कुछ अलग करने का सोचा तो उन्हें सेल्फ पब्लिशिंग में मजबूत संभावनाएं नजर आई। नए लेखक अपनी किताबें खुद प्रकाशित कर पाए इसी idea को अपने वेंचर का आधार बनाते हुए इन दोस्तों ने जब काम शुरू किया तो इस अनूठे वेंचर की राह में अनेक चुनौतियां आई। लेकिन तमाम मुश्किलों को दरकिनार करते हुए अंततः नोशन प्रेस ने कामयाब मुकाम हासिल किया।

कंपनी : नोशन प्रेस 

औचित्य : नए लेखकों के लिए बनाया सेल्फ पब्लिशिंग प्लेटफार्म।


एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नवीन ने तकरीबन 5 सालों तक आईटी क्षेत्र में नौकरी की इसी दौरान कुछ अलग करने का ख्याल उनके जेहन में आया और उन्होंने अपने स्कूल के साथी भार्गव अडीपिल्लई के साथ एक ऐप पर काम करना शुरू किया। अपने इस एप्लीकेशन को प्रमोट करने के लिए दोनों एक किताब प्रकाशित करने के बारे में सोचने लगे। इसके प्रकाशन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने एक और करीबी मित्र जनार्धनन पिल्लै को सौंपने का फैसला लिया क्योंकि वह प्रकाशन के अपने पुश्तैनी कारोबार से जुड़ा था। नवीन को पूरा यकीन था कि जनार्दनन उनकी किताब के प्रकाशन में पूरी मदद करेगा। इसी उम्मीद के साथ नवीन अपना आईडिया लेकर जनार्धनन के पास पहुंचे तो उन्होंने किताब को छापने में असमर्थता जताई। इसके पीछे जनार्दनन का तर्क यह था कि उनकी इस किताब का रीडरशिप बेस बहुत छोटा था और वह बहुत नामचीन लेखक भी नहीं थे। इसी के साथ जनार्धनन ने अपने दोस्तों को सलाह दी कि किसी प्रकाशक के पास जाने से अच्छा यह होगा कि वे अपनी किताब के प्रकाशन के लिए सेल्फ पब्लिशिंग का विकल्प चुनें।

अनूठे आइडिया में दोस्तों का साथ

नवीन को यह सलाह काफी चौंकाने वाली लगी क्योंकि उनका मानना था कि किसी भी नए लेखक के पास प्रकाशन से पहले ही रीडरशिप बेस कैसे हो सकता है। लेकिन पिल्लै ने उन्हें समझाया कि बाजार की हकीकत यही है। पिल्लै से हुई चर्चा के बाद नवीन और एडीपल्लइ को भी यह समझ में आ गया कि देश में पहली बार किताब लिखने वाले लेखकों के लिए अपनी किताब को प्रकाशित करवाना कितना मुश्किल है। इसी के मद्देनजर नवीन ने अपनी किताब के प्रकाशन के लिए सेल्फ पब्लिशिंग कंपनियों की तलाश करनी शुरु की तो पाया कि देश में इसके लिए विकल्पों की कमी है। इसी कमी को देखते हुए नवीन ने अपने दोस्त एडिपल्लई के साथ मिलकर यह निर्णय लिया कि वे टेक्नोलॉजी से प्रेरित खुद की सेल्फ पब्लिशिंग कंपनी की स्थापना करेंगे। जनार्धनन ने भी साथ देने का फैसला कर लिया।


रिसर्च करके बढ़ाएं कदम

अपने आईडिया को हकीकत में बदलने के लिए तीनों ने अगले 6 महीने तक इस इंडस्ट्री से जुड़े लेखकों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और पब्लिशर्स और अन्य लोगों से बात की और गहराई से रिसर्च की। यही नहीं इन तीनों ने यह जानने के लिए कि प्रकाशित होने में कितने लोग दिलचस्पी रखते हैं एक लघु कथा लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसने विजेताओं का चयन करने के लिए रीडर्स को वोट करना था। प्रतियोगिता के लिए उन्हें एक हजार से ज्यादा प्रविष्टियां प्राप्त हुई और करीब 2 लाख लोगों ने इन्हें पढ़ कर वोट किया। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जुड़ते देख उन्हें यह समझ आ गया कि वह सही दिशा में जा रहे हैं। इसी से उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिला और जनवरी 2012 में नोशन प्रेस की स्थापना हुई। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें अपना पहला क्लाइंट भी उन्हीं लेखकों में मिला जिन्होंने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।


3000 से करोड़ों का मुकाम 

नोशन प्रेस के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शुरुआत करने के लिए डोमेन की खरीद पर तीनों ने ₹3000 का निवेश किया। शुरुआत के पहले वर्ष में तीनों ने अपनी अपनी जिम्मेदारियां बांट ली और घर से ही काम किया। पहले वर्ष में 50 किताबें प्रकाशित की और 40 लाख का रेवेन्यू हासिल किया। 2014-15 में यह रेवेन्यू 2.2 करोड़ रहा। अब तक लगभग 1000 लेखकों को प्रकाशन करने में मदद कर चुकी नोशन प्रेस अब 97 देशों के डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ गठजोड़ कर चुकी है। यही नहीं टेक्नोलॉजी के साथ कदमताल करते हुए कंपनी ने नए लेखकों के लिए एक्सेलरेटर भी लॉन्च किया है। 2015-16 में नोशन प्रेस का रेवेन्यू 6 करोड़ रहने की उम्मीद जताई जा रही है।


नया कॉन्सेप्ट और बड़ी चुनौतियां

अपने आईडिया को वेंचर में तब्दील करने में नवीन और उनके दोस्तों को ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा जैसी किसी भी इनोवेटिव और अनूठे आईडिया को बिजनेस का रूप देने में आती हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को सेल्फ पब्लिशिंग के लिए जागरुक बनाना। लोगों के लिए यह कांसेप्ट नया था। लेकिन लेखक बनने की इच्छा रखने वालों की बड़ी संख्या के चलते नोशन प्रेस को जल्द ही पहचान मिलने लगी। लगातार कामयाबी का सफर तय कर रही कंपनी अब तक प्रोडक्ट्स पर पायलट प्रोजेक्ट चला रही है जो लेखकों को अपने काम को प्रमोट करने में मदद करेंगे। यही नहीं कंपनी ज्यादा से ज्यादा भारतीय भाषाओं में अपनी सेवाएं देने और वैश्विक स्तर पर विस्तार की योजना बना रही है।

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