ओनलाइन शॉपिंग ने बना दिया कामयाब एंटरप्रेन्योर

ऑनलाइन शॉपिंग ने बना दिया कामयाब एंटरप्रेन्योर


आंत्रप्रेन्योरशिप की दुनिया में रवितेज यदलम के प्रवेश की कहानी दिलचस्प है। 13 वर्ष की उम्र से ई-कॉमर्स में रुचि के चलते रवितेज ने कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ऑनलाइन बिक्री में प्रयोग करना शुरू किया। इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने के बाद महज 23 वर्ष की उम्र में अपनी कूपन और कैशबैक की शॉपिंग साइट लांच की।

कंपनी : पेनिफुल डॉट कॉम
संस्थापक : रवितेज यदलम
औचित्य : भारत की सबसे बड़ी ओपन और कैशबैक शॉपिंग साइट जिसके जरिए ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले कस्टमर्स को कैश बैक की सुविधा बैंक अकाउंट या चेक के जरिए मुहैया करवाई जाती है।

13 साल की उम्र में रवितेज यदलम ने अपनी पहली वेबसाइट रजिस्टर कर ली थी और 18 वर्ष की आयु में पहली बार एक प्रोडक्ट मोबाइल फोन ऑनलाइन बेचा। हुआ यूं कि रवि तेज ने जर्मनी के एक क्लाइंट को फोन उपलब्ध करवाने के लिए डील की थी। उस वक्त उसके पास फोन नहीं था  जब क्लाइंट का पेमेंट रवितेज को मिला तो उसने फोन खरीद कर उसके पते पर भेज दिया और अपने लिए कुछ बचत भी कि इस अनुभव से रवि तेज ने दो चीजें सीखी पहलीया की इंटरनेट में सारी भौगोलिक सीमाओं को खत्म कर दिया है और दूसरी की वेब पर नई बिज़नेस स्ट्रेटेजी के लिए अवसरों की भरमार है अपनी पहली इंटरनेट दिल से प्रभावित होकर रवि तेज ने कॉलेज के दिनों में ही कॉमर्स मॉडल के साथ जोड़-तोड़ करना शुरु कर दिया था बेंगलुरु के आर्मी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में भी करते हुए उसने कुछ वेंडर्स के साथ ऑनलाइन प्रोडक्ट बेचने का काम भी किया कुछ वक़्त बीतने के बाद रवि तेज ने पाया कि एफिलिएट मार्केटिंग यानी मार्केटिंग का एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां सिर्फ के ऑनलाइन रीटेलर्स अपने उत्पाद किसी तीसरी पार्टी के माध्यम से भेज पाए अच्छे अवसर प्रदान कर सकता है इन्हीं अनुभवों में रवितेज को अपने बिजनेस का आईडिया मिल गया ।

परिवार और दोस्तों से मिली मदद

एफिलिएट मार्केटिंग पर काम करते हुए रवितेज ने पाया कि इस क्षेत्र में ग्राहक का विश्वास जीतना भी एक बड़ी चुनौती है। इस पर रवितेज ने खुद से यह सवाल किया कि कोई भी कस्टमर मेरे प्रतिस्पर्धी के सामने मुझे क्यों चुनेगा? सवाल के जवाब में उसे यह विचार आया कि उसे अपने कस्टमर को ऐसा ऑफर देना चाहिए जो उसके प्रतिस्पर्धी ना दे रहे हो। इससे प्रेरित होकर रवितेज ने यह फैसला किया कि वह अपने कमीशन का कुछ हिस्सा अपने ग्राहकों के साथ शेयर करेगा। यहीं से रवितेज के जेहन में मार्च, 2010 में एक कैशबैक पोर्टल लांच करने का ख्याल आया। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए उसने मार्केटिंग और डिजाइन के लिए 2 लोगों को नियुक्त किया और अपनी कंपनी इज़ गेट ऑनलाइन टेक्नोलॉजी एलएलपी को रजिस्टर किया। जनवरी, 2011 में उसने यूएस में भी एक सहायक कंपनी पेनिफुल डॉट कॉम रजिस्टर की। कंपनी में बुनियादी निवेश के लिए रवितेज ने अपने परिवार से करीब 40,0000 रुपए की आर्थिक मदद ली। अपने कारोबार को स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए उसने वेबसाइट डेवलपमेंट के लिए अपने दोस्त की सहायता ली और यूएस के ई-कॉमर्स मर्चेंट को साथ आने के लिए ईमेल भेजना और कॉल करना भी शुरू किया।

यूएस के बाद भारत में की लॉन्चिंग

शुरूआती दौर में पेनिफुल डॉट कॉम के खाते में सिर्फ 50 पार्टनर्स के नाम शामिल हुए लेकिन जल्द ही सोनी, बार्न्स एंड नोबल, एडिडास, बनाना रिपब्लिक और एयरफ्रांस जैसे बड़े नाम भी शामिल हो गए। कुछ वक्त बाद जब रवितेज ने भारत में ई-कॉमर्स को रफ्तार पकड़ते देखा, तो नवंबर, 2011 में यहां भी पेनिफुल डॉट इन लॉन्च कर दिया। लॉन्चिंग के कुछ ही समय में कंपनी यहां के लगभग सभी ई-कॉमर्स पोर्टल को अपने साथ जोड़ चुकी है। जिनमें क्लियरट्रिप डॉट कॉम, शॉपर्स डॉट कॉम, naaptol.com, yatra.com, flipkart.com, snapdeal.com जैसे नाम शामिल है।

शीर्ष कंपनियों में शामिल वेंचर

तेजी से तरक्की कर रही इस कंपनी के पार्टनर्स की लिस्ट में चार हजार कंपनियां शामिल हो चुकी है। यही नहीं कंपनी का वर्तमान टर्नओवर सात करोड़ के आंकड़े को पार कर चुका है। यही नहीं वर्ष 2013 में पेनिफुल को रेट एयर इंडिया टॉप 10 कंपनीज में भी शामिल किया गया। रवितेज बताते हैं कि भारत में लोगों को कैश बैक के बारे में बताना काफी चैलेंजिंग था क्योंकि देश में आज भी लोग कैशबैक की अवधारणा से अनजान हैं। वही लोग इसे डिस्काउंट के समान मानते हैं और इसकी विश्वसनीयता पर कम ही यकीन करते हैं।

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