मूवी टिकट की बिक्री में मिला करोड़ों का बिजनेस आईडिया

मूवी टिकट की बिक्री में मिला करोड़ों का बिजनेस आईडिया

एक एंटरप्रेन्योर के तौर पर आशीष हेमरजानी ने पिछले 16 सालों में कई उतार चढ़ाव देखे हैं लेकिन वह जितनी दफा गिरे उतनी ही बार उन्हें फिर से उठकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिली। आज अपने प्रयासों से उन्होंने एक ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है जहां पहुंचने की तमन्ना एंटरप्रेन्योर बनने का सपना देखने वाला हर व्यक्ति करता है।



कंपनी : बिग ट्री इंटरटेनमेंट (bigtree.in), BookMyShow.com
संस्थापक : आशीष हेमरजानी 
औचित्य : कंपनी शुरुआत से लेकर अब तक 100 मिलियन से ज्यादा टिकट बेच चुकी है। 2017 तक बिग ट्री इंटरटेनमेंट का मकसद हर साल 100 मिलियन के आंकड़े को छूना है। माइलस्टोन मध्य जुलाई में बुक-माय-शो ने पीवीआर लिमिटेड के साथ एक हजार करोड़ की एक डील साइन की है। जिसके तहत पीवीआर के ऑनलाइन टिकट बेचे जाएंगे। इस कदम के साथ ही कंपनी एक हजार करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है।


असफलता को हमारे समाज में करियर का अंत समझ लिया जाता है, असल में तो यह शुरुआत होती है। देश की प्रमुख ऑनलाइन टीकटिंग कंपनी बुक-माय-शो (bookmyshow) के सीईओ आशीष हेमरजानी कुछ ऐसी ही फिलासफी में यकीन रखते हैं। बंटवारे के बाद आशीष के माता पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना के साथ मुंबई आ गए। आशीष बताते हैं कि उन दिनों स्पीच लेशन लेने के साथ-साथ वे पियानो सीखा करते थे। लगभग हर वीकेंड पर वे जहांगीर आर्ट गैलरी भी जाते थे। हालांकि इन में से कोई भी रूचि आशीष का भविष्य निर्धारित नहीं कर पाई थी।

बड़े पेड़ के नीचे मिला बिगट्री को नाम

मुंबई यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री लेने के बाद आशीष का अगला पड़ाव नौकरी थी। 1997 में एडवरटाइजिंग कंपनी हिंदुस्तान थॉमसन एसोसिएट के साथ उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत की। इसी दौरान छुट्टियां मनाने के लिए आशीष दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। यहां इंटरनेट के माध्यम से मिलने वाली सुविधाओं से प्रभावित होकर 24 साल के इस युवा के मन में है नए-नए आईडिया आने लगे। इसके बारे में और जानने के लिए उन्होंने फैनडैंगो और टिकट मास्टर जैसी इंटरनेशनल टिकटिंग कंपनियों की वेबसाइट भी खंगाली। अफ्रीका से घर लौटते हुए आशीष अपने पूरे सफर के दौरान इन्हीं आइडियाज के बारे में सोचते रहें और भारत पहुंचते-पहुंचते इसे अमल में लाने का मन बना चुके थे। उन्होंने टेलीफोन और इंटरनेट के जरिए मूवी के टिकट बेचने का फैसला किया और इसके लिए अपनी जॉब छोड़ दी। 1999 में आशीष ने अपनी कंपनी शुरू की और इसका नाम रखा बिग ट्री एंटरटेनमेंट। इसके पीछे भी एक दिलचस्प वजह है। असल में आशीष को यह आईडिया दक्षिण अफ्रीका मे  रहने के दौरान एक बड़े पेड़ (बिग ट्री) के नीचे बैठने के दौरान आया था।

नौकरी से दिया इस्तीफा

आशीष के लिए यह फैसला करना काफी मुश्किल था, इस का पहला कारण यह था कि इसमें बड़ा जोखिम था और दूसरी वजह थी कि उस दौर में सिनेमा के टिकट बेचना अच्छा नहीं समझा जाता था। इस फैसले से उनके माता पिता भी काफी नाराज हुए, क्योंकि इसके लिए आशीष ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी। कंपनी शुरू करने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए आशीष ने अपने बिजनेस प्लान के बारे में बताते हुए चेज कैपिटल को एक ईमेल किया। करीब 7 दिन बाद वहां से कॉल आया, जिसमें उन्होंने पूछा कि कितना पैसा चाहिए? यह सवाल सुनकर आशीष के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। आधा मिलियन डॉलर की फंडिंग के साथ आशीष ने बिग ट्री इंटरटेनमेंट की स्थापना की।

सख्त कदम और मजबूत इरादे

बिग ट्री इंटरटेनमेंट के स्थापना के वक्त देश कंप्यूटर से परिचय ही कर रहा था। कम ही लोगों के पास क्रेडिट कार्ड हुआ करते थे और नेट बैंकिंग से तो कोई भी वाकिफ नहीं था। दूसरी परेशानी यह थी कि देश के थियेटरों और सिंगल स्क्रींस में ई-टीकटिंग सॉफ्टवेयर का अभाव था। जिसकी वजह से आशीष पहले ही थियेटरों से बड़ी मात्रा में टिकट खरीद लेते थे और फिर अपने कस्टमर्स को उपलब्ध करवाते थे। तमाम मुश्किलों के बावजूद आशीष ने हिम्मत नहीं हारी। 2001 में बिग ट्री के पास 164 कर्मचारियों की टीम तैयार हो चुकी थी कि तभी डॉट कॉम ठप्प पड़ गया। इससे उभरने के लिए आशीष को कॉस्ट कटिंग जैसे सख्त कदम उठाने पड़े। इस दौरान उनकी टीम सिर्फ 6 लोगों तक सिमट गई थी, लेकिन आशीष ने अपनी कंपनी को डूबने से बचाने के लिए कुछ निवेशकों के साथ बातचीत भी शुरू की और यह फैसला किया कि अपनी आय की एक-एक पाई वह अपने बिजनेस में निवेश करेंगे।

हौंसलों ने दिलाई जीत

आशीष हमेशा से यही मानते थे की जोखिम और सफलता का चोली दामन का साथ है। इस यकीन ने उनका हौसला बनाए रखा और वह आगे बढ़ते गए। अपनी कोशिशों के बल पर कंपनी को संकट से निकाला। 2002-04 में इसे एक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रोवाइडर का दर्जा दिलाया जो थियेटरों को ऑटोमेटेड ई-टिकटिंग सॉफ्टवेयर प्रदान करती है। 2007 में आशीष ने बिग ट्री को बुक माय शो (bookmyshow) के नाम से रीलॉन्च किया। अब बुक माय शो मल्टीप्लैक्स के अलावा स्पोर्टिंग इवेंट्स, थिएटर और शहरों में होने वाले लाइव इवेंट्स को भी अपना सॉफ्टवेयर बेच रहा है और लगभग 50 फिसदी की दर से कंपनी वृद्धि कर रही है। आंकड़े बताते हैं की बुक माय शो भी एक हजार करोड़ की वैल्यूएशन क्लब में शामिल हो गया है और ऑनलाइन इंटरटेनमेंट ई-टीकटिंग का 90 फी़सदी से ज्यादा बिजनेस अपने नाम कर लिया है। अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए आशीष कहते हैं कि उन्होंने बुरे वक्त में भी धैर्य नहीं खोया। खुद पर यकीन रखा और बेहतरी की दिशा में कदम उठाए। वे कहते हैं कि दुनिया की सभी बड़ी कंपनियों को इस दौर का सामना करना पड़ा है। अगर बुरे वक्त में उन्होंने हार मान ली होती तो आज वे इस मुकाम पर नहीं पहुंचते।

मैनेजमेंट मंत्र : अलग-अलग काम मत कीजिए बल्कि कामों को अलग ढंग से करने की कोशिश कीजिए।

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