युवा भारत को सोचने का नया तरीका बता रही हैं बहनें

युवा भारत को सोचने का नया तरीका बता रही हैं बहनें


बालिका शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों में अदिति और दीप्ति का योगदान भी महत्वपूर्ण है। तकनीकी शिक्षा और क्षमता उन्नयन में दोनों बहने विभिन्न माध्यमों से आम बालिकाओं को प्रेरित कर रही हैं। जानते हैं रोबोटिक्स की मदद से शिक्षा को सरल और व्यापक बनाने में क्या-क्या जतन कर रही है अदिति और दीप्ति।

औचित्य : साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स स्किल के लिए एक टूल को विकसित किया है। इस टुल के माध्यम से किसी विषय को सीखने में रोबोटिक्स की मदद ली जाती है।

केंद्र सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत देशवासियों को बालिका सशक्तिकरण और बालिका शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही है वहीं अदिति और दीप्ति दोनों बहनों ने इस दिशा में पहले से ही मील के पत्थर की बुनियाद रखती है हाल के दशकों में तेजी से गिरी लिंग अनुपात में ना केवल सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है बल्कि भविष्य की तमाम नीतियों पर सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है साक्षरता दर बढ़ने के बाद भी बालिका शिक्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती विज्ञान तकनीक इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में बालिका शिक्षा की कल्पना थोड़ी और मुश्किल हो जाती है लेकिन अदिति और दीप्ति इन विषयों के प्रति बालिकाओं को प्रेरित करने के लिए रोबोटिक्स लर्निंग सोल्यूशंस को एक मिशन के तौर पर तेजी से आगे बढ़ा रही हैं।

रोबोटिक्स से सीखने में कर रही है मदद

किसी भी कामयाबी के लिए सोचने और काम करने का तरीका बिल्कुल अलग होता है। किसी चीज को सीखने और सोचने के तरीकों के बारे में ही 'रोबोटिक्स लर्निंग सोल्यूशंस' कंपनी इन लोगों की मदद करती है। 'रोबोटिक्स लर्निंग सॉल्यूशंस' की सीओओ अदिति प्रसाद और सीआईओ अदिति राव सुचिंद्रम ने एसटीइएम् (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स) स्किल के लिए एक टूल को विकसित किया है। इस टुल के माध्यम से किसी विषय को सीखने में रोबोटिक्स की मदद ली जाती है। विशेषकर बच्चों के लिए जिन्हें दुनिया को देखने के लिए एक नजरिया विकसित करना होता है। बच्चे रोबोट की मदद से कई चीजों को आसानी से सीख सकते हैं। 

बचपन की सीख ने किया प्रेरित 

अमूमन घरों में बच्चों को पढ़ाने या कुछ सिखाने के लिए खेल-खिलौनों की मदद की जाती है। इससे बच्चों को सीखने में आसानी होती है। दोनों बहनों के मुताबिक बचपन में उनके पिता गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों को समझाने के लिए टॉय बॉल आदि का इस्तेमाल करते थे। बगीचों में तितलियों के रंग, उड़ने के तरीकों आदि के बारे में रोचक ढंग से बताते थे। इन्हीं सब बातों ने दोनों को आगे चलकर कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। 

बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष जोर 

इस कंपनी की योजना एसटीइएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) के क्षेत्र में बालिकाओं को कैरियर बनाने के लिए विशेष रूप से प्रेरित करना है। उनका मानना है कि शुरुआत में ही बच्चियों में रोचक तरीकों की मदद से ऐसे विषयों के प्रति रुचि पैदा की जा सकती है। तकनीकी युग में ऐसी योग्यताएं कैरियर के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगी। उनका मानना है कि कंपनियों और नामी विश्वविद्यालयों में कार्यरत महिला प्रोफेशनल्स इस क्षेत्र में सहयोग कर सकती है। 

क्या है रोबोटिक्स एजुकेशन प्रोग्राम 

6 वर्ष पूर्व शुरू किए गए रोबोटिक्स एजुकेशन प्रोग्राम का उद्देश्य बालिकाओं में साइंटिफिक इंटरेस्ट पर जागरुकता पैदा करना है। इंडिया रोबोटिक्स लिग (आईआरएल) का हिस्सा होने के साथ-साथ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को बढ़ावा देने के लिए गर्ल्स टीम अवार्ड भी दिया जाता है। इसका कारण यह है कि आज के दौर में कंप्यूटर साइंस का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में उच्च वेतन वाली नौकरियां पैदा हो रही हैं। आमतौर पर सांख्यिकी के छेत्र में बालिकाओं का रुझान कम होता है। इस क्षेत्र में बालिकाओं को प्रेरित किया जा रहा है। कंपनी द्वारा रोबोटिक्स एजुकेशन प्रोग्राम के अलावा, स्कूल प्रोग्राम और वर्कशॉप के माध्यम से भी लोगों को जागरुक किया जाता है। 

चुनौतियां भी कम नहीं क्षेत्र में 

दोनों बहनों का मानना है कि लिंगभेद देश में बहुत बड़ी समस्या है। प्रोग्राम से जुड़ने वाले माता-पिता रोबोटिक्स को पुरुषों का क्षेत्र बता कर पल्ला झाड़ लेते हैं। दोनों बहनों को इस चुनौती का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है।

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